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Rewa news:30 हजार की आबादी के बीच बना मुक्तिधाम बदहाल!

Rewa news:30 हजार की आबादी के बीच बना मुक्तिधाम बदहाल!

 

 

 

 

 

 

रीवा. शहर की आबादी तेजी से बढ़ रही है। जरूरत के हिसाब से सुविधाएं भी नहीं मिल रही हैं। वार्ड 44 में लक्ष्मणबाग के पास स्थित मुक्तिधाम इन दिनों बदहाली का शिकार है। यहां पर अंतिम संस्कार के लिए आने वाले लोगों को कोई तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। आसपास के कई मोहल्लों के लोगों का इस मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार होता है। इसकी लंबे समय से अनदेखी की जा रही है। यहां पर सुविधाएं न के बराबर हैं। स्थान खुला होने की वजह से यहां पर कई तरह की अव्यवस्थाएं भी हैं। हर महीने औसत दस से 15 की संख्या में अंतिम संस्कार हो रहे हैं, जिसमें शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं। वार्ड 45, 27, 44 और 43 के लोगों के अंतिम संस्कार के लिए यह अकेला स्थान है। यहां पर बाउंड्रीवाल तक नहीं है। पानी के नाम पर एक हैंडपंप है। वह भी खराब हालात में है। बिछिया नदी है तो नजदीक ही, लेकिन वहां तक पहुंचने के लिए घाट नहीं है। नगर निगम प्रशासन द्वारा गरीबों एवं अन्य जरूरतमंदों को अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी भी प्रदान की जाती है, लेकिन यहां पर खुला स्थान होने की वजह से लकड़ी चोरी हो जाती है।

 

 

 

 

 

नगर निगम का रजिस्टर भी नहीं
मुक्तिधाम में नगर निगम की ओर से कोई कर्मचारी भी तैनात नहीं किया गया है। इसी वजह से यहां पर कोई रजिस्टर भी नहीं है। जबकि बंदरिया के मुक्तिधाम में नगर निगम के कर्मचारी तैनात किए गए हैं और अंतिम संस्कार के लिए आने वालों की एंट्री करते हैं। इसी रजिस्टर के आधार पर मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए जाते हैं। स्थानीय निवासियों ने कहा कि मृत्यु प्रमाण पत्र के लिए पार्षद की अनुशंसा ली जाती है।

 

 

 

 

 

दानदाताओं के सहयोग से बनाई कुछ व्यवस्था

लक्ष्मणबाग के पास स्थित मुक्तिधाम में दानदाताओं के सहयोग से कुछ व्यवस्थाएं बनाई गई हैं। सिंधु समाज के लोगों ने सहयोग राशि देकर इस मुक्तिधाम में शेड लगवाया और बैठक व्यवस्था बनाई है। पहले यह स्थान पूरी तरह से खुला था। अब एक हिस्से में बैठने के लिए शेड का निर्माण किया गया है। जिस स्थान पर अंतिम संस्कार किया जाता है, वहां ऊपर से खुला होने से बरसात के दिनों में पानी गिरता है।

 

 

 

 

 

 

सुरक्षा व्यवस्था मुक्तिधाम में नहीं है। इस कारण यहां चोरियां और तोडफ़ोड़ होती है। बाउंड्रीवाल और गेट बनना चाहिए। साथ ही एक रजिस्टर रखा जाए। रिकार्ड होने से प्रमाण पत्र में कठिनाई नहीं होती। जिस तरह से बंदरिया का मुक्तिधाम बनाया गया है, उसी तर्ज पर विकास हो।

सुदामा ठारवानी

 

 

 

 

 

बाउंड्रीवाल बन जाए तो यहीं पर लकड़ी की व्यवस्था भी होने लगे। एक भवन ऐसा बने जहां पर अस्थि कलश रखा जा सके। साथ ही रजिस्टर भी वहीं पर रहे जिससे अंतिम संस्कार की एंट्री होती रहे। नदी में घाट बन जाए तो वहीं पर लोग स्नान भी ठीक तरीके से कर पाएंगे। अभी इसकी बड़ी समस्या सामने आती है।

रामसुंदर पटेल

 

 

 

 

वार्ड में वर्षों पुराना मुक्तिधाम है। यहां पर जन सहयोग से कुछ कार्य हुए हैं लेकिन प्रशासनिक स्तर पर वर्षों से उदासीनता बरती जा रही है। निगम आयुक्त से चर्चा हुई है, जिस पर करीब 55 लाख रुपए की लागत से बाउंड्रीवाल, नदी में घाट एवं अन्य कार्यों का प्रस्ताव तैयार हुआ है।

अर्चना अमृत मिश्रा, पार्षद

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